बस उड़ने की देर है
बस उड़ने की देर है
बस उड़ने की देर है...
खुलकर जीने की ख़्वाहिशमन रखने वालों,
जहाँ चल न पाओ,
वहां उड़ने की तमन्ना रखो।
जिंदगी से उब गए हो,
तो अपने बचपन से सीख ले लो।
तब सपने संजौते थे,
आज उन्हे सच करने की घड़ी है ।
तोड़ डालो उन बेड़ियों को...
जो छूने नहीं देते तुम्हे:
सूरज की किरणें,
ओस की बूंदें,
चंद्रमा की शीतलता।
जहाँ आशाएँ हैं,उम्मीदें हैं,
फैलाओ उस ओर
अपने सोच के पंखों को।
मन के पंछी हो सभी,
बस उड़ने की देर है ।
