खुशियाँ घूम-घामकर फिर से मन की खिड़की पर झाँकती मिलेगी ! खुशियाँ घूम-घामकर फिर से मन की खिड़की पर झाँकती मिलेगी !
जो है अब भी अधूरी चीख चीख कर करती है जो गुहार अपनी पूर्णता की अपनी समाप्ति की। जो है अब भी अधूरी चीख चीख कर करती है जो गुहार अपनी पूर्णता की अपनी समाप्ति क...
स्पर्धाएं क्या कभी खत्म होंगी एक दूसरे से आगे निकल जाने की। स्पर्धाएं क्या कभी खत्म होंगी एक दूसरे से आगे निकल जाने की।
भगवान ने दी जल, अग्नि, वायु और हमने इन्हें ही दूषित कर दिया। सब समाप्ति के कगार पर ला दिया और पूछ... भगवान ने दी जल, अग्नि, वायु और हमने इन्हें ही दूषित कर दिया। सब समाप्ति के कगा...