सकल संसार मेरा पुत्रवत, मैं तुम सब में समाहित हूँ। सारे जग के दोष-पापों को, सकल संसार मेरा पुत्रवत, मैं तुम सब में समाहित हूँ। सारे जग के दोष-पापों को,
ना समझ थे हम सुनो हां हम फकत थे मोहरा क्यों? धुंधला सी गई है अंबर की ये नीलम चादर क्या च... ना समझ थे हम सुनो हां हम फकत थे मोहरा क्यों? धुंधला सी गई है अंबर की ये...
काट डाले पेड़ सारे जंगलों के वीरान सा कर डाला, प्रकृति के सौन्दर्य को काट डाले पेड़ सारे जंगलों के वीरान सा कर डाला, प्रकृति के सौन्दर्य को
संभलते नहीं करते मनमानी छेड़ते रहते करते दूषित प्रकृति संभलते नहीं करते मनमानी छेड़ते रहते करते दूषित प्रकृति
ये अभ्यारण्य काटेंगे वहाँ पर घर बसायेंगे ये अभ्यारण्य काटेंगे वहाँ पर घर बसायेंगे
पाप ही जीवन कलयुग का, और पाप ही है आधार ।। पाप ही जीवन कलयुग का, और पाप ही है आधार ।।