प्रतिस्पर्धा
प्रतिस्पर्धा
स्पर्धाएं क्या कभी खत्म होंगी
एक दूसरे से आगे निकल जाने की
क्यो देते हैं हम अपने से ज्यादा
ध्यान दूसरे पर
ये अनुभूति कब तक चलेगी
जीवन के हर क्षेत्र में रहेगा
हर समय कोई न कोई हम से बेहतर
आखिर इस अंधी दौड़ की
कोई तो समाप्ति रेखा खिंची होगी
देखते रहते हैं हमेशा दूसरे को
उसकी कार सम्पत्ति धन या पत्नी
हर क्षेत्र में करते हैं मुकाबले चुपचाप
लेकिन कभी क्या उसको पता है
बिन बताये बिन ज्ञान बिना सूचनाएं
करते रहते एक कभी न
खत्म होने वाली स्पर्धा मुकाबला
उसके वस्त्र देख कर उसकी नौकरी
उसकी सुख सुविधाओं को हम
हमें मालूम है इसका कोई अंत नही
आज तक कभी सोचा
कभी हों पाया क्या किसी से आगे
खो दिया जिसकी वजह से
अपना दिन रात का चैन हमने।
