ग़ज़ल
ग़ज़ल
दिल जिस ने चुराया है वह होशियार तो होगा।
जब चोट लगेगी तो दिल बेदार तो होगा ।
तू मेरी अमानत है तू ही मेरी ख्वाहिश।
मौत से पहले कभी दीदार तो होगा।
हमदर्द सभी तेरे लगते हैं यह दीवाने।
अनार चाहता है जो बीमार तो होगा ।
शाखें भी लचक जाती है अकसर ही फल पाकर ।
फल पाने तक मंजिल मगर दुश्वार तो होगा।
तेरे हुस्न का गम्माज तेरी प्यारी सी आंखें।
तुझ पे हैं जा निसार तो दिलदार तो होगा।
कुछ होगी जराफत सगीर उनके दिलों में।
नफरत का जो महल है वह मिसमार तो होगा।

