STORYMIRROR

Viral Rawat

Romance

2  

Viral Rawat

Romance

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
2.9K

आईने के सामने वो जुल्फें जब संवारते हैं,

चिलमन में छिपकर हम चाँद को निहारते हैं।


आब-ए-आइने में वो मुस्कुराते हैं कुछ यूँ,

एक साथ सात खंजर सीने में उतारते हैं।


भीड़ लग जाती है अब कूचे के उस चौराहे पर,

जहाँ खड़े होकर वो रिक्शेवाले को पुकारते हैं।


कपड़े सूखाने गर वो घर की छान पर चले गये,

तो बच्चे क्या, जवान क्या, बूढ़े भी सीटी मारते हैं।


उठ जाते हैं मेरे कदम जो मैकदे की ओर,

मैं के नशे से हम उनके नशे को उतारते हैं।


(चिलमन: बांस का पर्दा, आब-ए आईना: शीशे की चमक,

छान: छत, मै: शराब, मैकदा: शराब की दुकान)


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance