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GOVIND RAKESH

Romance

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GOVIND RAKESH

Romance

ग़ज़ल- तुम्हारी याद ऐसे सता रही

ग़ज़ल- तुम्हारी याद ऐसे सता रही

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मुझको तुम्हारी याद ऐसे सता रही है

तुम हो यहीं कहीं पे खुश्बू बता रही है


जो कुछ चल रहा है दिल में तुम्हारे वो सब

बातें तुम्हारी सूरत मुझको बता रही है


सिमटे हुए से पलकों में ख्वाब हैं तुम्हारे

ज़ालिम ये नींद लेकिन उनको मिटा रही है


महरूम हूँ मैं अब भी आगोश से तुम्हारी

तू ही बता दे अब क्या मेरी ख़ता रही है


आंगन में मेरे तुमने खुश्बू जोे है बिखेरी

ख्वाहिश मेरी पता है ऐसा जता रही है


राकेश नफरतों से मैं हारता रहा हूँ

उल्फत तुम्हारी लेकिन मुझको जिता रही है



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