STORYMIRROR

GOVIND RAKESH

Abstract

3  

GOVIND RAKESH

Abstract

आज कल बीमार हम हैं

आज कल बीमार हम हैं

1 min
428

आज कल बीमार हम हैं

हो गयेे  लाचार  हम हैं


क्या हुआ जो हम उधर थे

आज तो इस पार हम हैं


कल वहीं फिर से मिलेंगे

मौसमी  किरदार हम हैं


तुम ने पूछा भी न हमको

लगता है  बेकार हम हैं


पीछे मेरे ही चलो  तुम

आज तो सरदार हम हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract