ग़ज़ल-झूठ ही मुस्कुरा दिया होगा
ग़ज़ल-झूठ ही मुस्कुरा दिया होगा
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झूठ ही मुस्कुरा दिया होगा
दर्द दिल का छुपा लिया होगा
आख़िरी साँस जब लगी थमने
हाथ अपना हिला दिया होगा
पाँव तो उठ सका नहीं उसका
भूख नेे भी सता दिया होगा
चीख़ भी ज़ोर से नहीं पाया
आह को भी दबा लिया होगा
आँख उसकी अभी हुई है नम
दिल किसी ने दुखा दिया होगा
