घायल है तिरंगा
घायल है तिरंगा
लाल रंग से न मुझे और नहला दो
घायल हूँ थोड़ा मुझे अब सहला दो
आज़ादी का दृश्यमान प्रतीक हूँ
मेरे अभिमान को न अब हिला दो
गोली चीर गई थी जिनके सीनों में
आतंकियों को कुछ उनका सिला दो
धार्मिक स्वतंत्रता का जग में प्रतीक हूँ
फिरका परस्त वालों से न हाथ मिला दो
देखी न जाती मुझसे अब सूनी कोख
कमसिन कलियों को और न रुला दो
घुटन से भरी है मेरे देश की हवा
सब को भाईचारे का अमृत पिला दो
सहमा हुआ हूँ परीस्थितियों से
मुझे चैन की गोद में अब सुला दो
आत्मविश्वास से भरा मेरा चक्र है
साहस,शक्ति,शांति चहुँ ओर फैला दो
कितने शूर्य वीरों का कफन बना हूँ मैं
उनकी कुर्बानी का हक उन्हें दिला दो
घायल हूँ ,अब प्यार का अमृत पिला दो
मुझे लाल रंग से अब और न नहला दो।