अपनी मर्जी
अपनी मर्जी
फैसला उम्र भर का है,
जिंदगी का फलसफा है ,
कोई गिला शिकवा नहीं है,
बंदगी का नहीं कोई रुतबा है।
बस यूं ही आंखो् की ललक,
दिल में चाहतों की धड़क,
न कोई हमसफर न रास्ता,
दूर दूर सा रहने की लगन।
उल्फतों के साये में वीरान,
जिंदगी की खुली दास्तान,
एक राही जिद भरी हुंकार,
ममंजिल ए रास्ता सुनसान।
न आगे न पीछे कोई सरीखे,
जिंदगी के उसूल अपने तरीके,
हर कोई जीता है अपना मुकाम,
हर लकीर लिखा है भाग्य अंजाम।
जीने दो अपना अंदाज ए जिंदगी,
अपनी मर्जी न दो मुकाम ए बंदगी।