गगन का चांद
गगन का चांद
तुम्हें पाकर मैंने जहां पा लिया है
खो भी गए तो कोई गम न होगा।
सुबह की ये किरणें तुम्हें छूती रहेंगी
वही आकर मुझको देंगी उजाला।
बसंती हवाएं जो उधर से चलेगी ,
आकर इधर भी मुझे छू लेंगी।
बादल जो घुमड़ कर बरसा करेगी
इधर भी फुहारें छिटक कर पड़ेंगी।
गगन में चांद जब भी निकला करेगा
लोरी वो मुझको भी सुनाया करेगा।
कोयल अपनी गीत सुनाती रहेंगी।
तुम्हें कोई यूं ही लुभाती रहेंगी।
हर सै पर मेरी याद आती रहेगी
मेरे दिल को भी तब महसूस होगा।
मिलते रहेंगे हम हसीं वादियों में।
धरती न होगी पर आसमां रहेगा।
जहां भी रहोगे , मुस्कुराते ही रहना।
मेरी जिंदगी खिलखिलाती रहेगी।
तुम्हें पाकर मैंने जहां पा लिया है।
खो भी गए तो कोई गम न होगा।