गैरहाजिरी सी लगती है ...
गैरहाजिरी सी लगती है ...
तू चला कहाँ गया है हाथ में यह अहसास लेकर
सबकी हाजिरी क्लासरूम में भी गैरहाजिरी सी लगती है
तू कहता तो उसे तेरे पास ले आता
मैं जहां जाता हूं वहां बस तेरी गैरहाजिरी सी लगती है
तुम होते तो दो चार बाते होती, कुछ उसकी होती तो कुछ उसकी
मेरी हर तन्हाई में तेरी आवाज की गैरहाजिरी सी लगती है
साथ शाम गुजारे कितना वक़्त हो गया, साथ वो रास्ते काटते कितना वक़्त हो गया,
साथ वो कंकड़ पानी में डाले कितना वक़्त हो गया,
साथ वो किनारे बैठे सूरज को देखना कितना वक़्त हो गया
यहाँ मेरी हाजिरी लगती है तेरी गैरमौजूदगी की मेरी परछाईं लगती है
तू चला कहाँ गया है हाथ में यह अहसास लेकर
सबकी हाजिरी क्लासरूम में भी गैरहाजिरी सी लगती है ....
