गाय और ग्रह
गाय और ग्रह
वास है देवों का जिसमें जो,
मधुमय पय का करती दान।
धेनु गाय सुरभी गौ माता है,
उसके ही अगणित नाम ।।
कृष्ण चन्द्र की आराध्या बन,
मान जगत में पाया।
सेवा पूजा करके तुम्हारी ,
गोपाला हरि कहलाया ।।
दूध मूत्र गोमय आक्सीजन,
मानव के है हितकारी ।
धन्य हमारी है गौ माता,
हम सबको अति प्यारी ।।
ग्रह उपग्रह में भारत का ,
सर्वदा रहा उन्नत परचम।
स्वर्ग से बढ़ कर हिंद देश है ,
गौ गंगा गीता अनुपम ।।
पृथ्वी का रक्षण पोषण ही ,
जीवन में सुख लाए ।
सभी ग्रहों से न्यारी पृथ्वी ,
जिस पर हम जीवन पाए ।।
