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Taj Mohammad

Tragedy

4  

Taj Mohammad

Tragedy

गांव का भोलापन ना रह गया है

गांव का भोलापन ना रह गया है

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दीवारों पर हरी घास चढ़ गई है,,,

छतें सभी बेकार हो गई हैं,,,

कभी हंसती मुस्कुराती थी जो हवेली,,,

आज खंडहर का रूप ले चुकी है।।


मुद्दतों बाद लौटकर आया हूं गांव में,,,

अपने पुरखों के सायेबान में,,,

कोई तस्वीर ना दिखती है बचपन की,,,

अब तो यहां की हर चीज बदल चुकी है।।


मेहराबों पर अब कौए बैठते नहीं है,,,

परिंदे भी शजरोें पर दिखते नहीं है,,,

फूलो का गुलशन कहां गया,,,

जो अब हवा में घुलके महकते नहीं है।।


लोगों के ह्रदय बदल गए है,,,

गांव की रौनक चली गई है,,,

अब लगती नहीं चौपाल,,,

अब दादा,काका नीम के तले बैठते नही है।।


गांव का देशीपन चला गया,,,

हर हाथ में मोबाइल आ गया,,,

कोई किसी से मिलता जुलता नहीं है,,,

हर किसी की आत्मा मर चुकी है।।


गांव में बीयर की दुकान खुल गई है,,,

मधुशालाएं बन गई है,,,

यहां पर भी शहर आगाज़ कर चुका है,,,

खेती किसानी सब निगल चुका है।।


गांव का भोलापन ना रह गया है,,,

दादी, नानी का प्रेम खो गया है,,,

हर कोई फ़ैशन में पड़ गया है,,,

अब यहां भी हर ह्रदय में कारोबार हो गया है।


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