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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

4.5  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

गांव हो रहे खाली

गांव हो रहे खाली

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गांव होते जा रहे है, खाली

शहर बजाते जा रहे है, ताली

कैसा आजकल दौर आया,

गांवों में हो रही है बदहाली


शहरों में हो रही है, खुशहाली

खेत-खलिहान हुए है, खाली

ऊंची इमारतों ने लील ली है

गांवों की जगह, बहुत सारी

गर मिटे गांवों की तंगहाली


गांवों में विकसित हो माली

खेत आधुनिक हो रखवाली

फिर कैसे होंगे गांव खाली

गांव ही बन जाएंगे, शहर

गर इसे पहनाये, मॉर्डन बाली


गांवों को न समझो गाली

गांव पूर्वजो की है, लाली

गांव की करो, आप बहाली

शुद्ध हवा आयेगी, मतवाली


गांव बिना जीवन है, खाली

प्रयास करो, अपने गांव में 

शिक्षा हो, एकदम शहरवाली

गांवों में बढ़ जाये, रोजगार


फिर गांव की खिलेगी, डाली

फिर शहर हो जाएंगे, खाली

युवा न जायेगा, शहर कोई

गर गांव में हो काम बहाली


फिर गांव नही होंगे खाली

गांव ही बनेगे शहर बाली

यदि बाहर से हो आधुनिक

भीतर से हो सोच गांववाली।


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