एकांत
एकांत
अंधेरी रात का एकांत,
चांदी की चादर से लिपटी धरती,
बहते हुए झरने का किनारा,
कल - कल करते पानी का संगीतमय वातावरण,
एक टूटा दिल विलाप करता हुआ,
अपने अंदर उभरते उफानों को
शांत करने का प्रयास करते हुए,
पैरों में ठंडे बहते हुए पानी का
स्पर्श महसूस कर रहा है;
वह स्पर्श मानो मां के ममतामई हाथ
हौले से थपथपा रहे हो।
कमर ज़मीन को चूमती हुई,
आंखें खुले आसमान में
झिलमिलाते तारों को निहारते हुए,
अपने विचारों के अंतर्द्वंद्व में,
एक गहरे आत्मचिंतन से उभरते हुए,
आज मुक्त जीवन की आशा करता है।
आज खिन्नता का दामन छोड़ कर
अपने अंतरिक में
शांति का अनुभव करते हुए,
एकांत में उपजे भा
वों को समेटते हुए,
कलम को अपनी संगिनी बनाकर,
एक नए संसार में कदम रखने का
संकल्प लेता है;
वह संसार जो ईंट बाटे की
चकाचौंध से हटकर
विचारों को मान देता है।
अचानक आंखों से बहता पानी
सूख जाता है,
हृदय की गहराई में अंकुर फूटते हैं,
गुज़रती रात एक नए सवेरे का
पैगाम देती है;
एक नई शख़्सियत उभर आती है,
साहस व जोश से भरी!
एकांत कितना शीतल है, कितना सुखद!
हमें हमीं से परिचय कराता है।
हमारे मन मस्तिष्क में उभरते सवालों का
हमारे ही अंतर्मन से उतर ढूंढ निकलता है।
एकांत हमारे मन का दर्पण है,
हमें रूबरू कराता है
हमारी ही छिपी हुई क्षमताओं से........