एक टुकड़ा बादल
एक टुकड़ा बादल
तेरे आसमां से, मेरे आसमां पे
आंके ठहरा है एक टुकड़ा बादल।
करें तांक झांक मेरे मन के अंदर,
आंगन मन का भिगोने को क्यों
आतुर है ये एक टुकड़ाबादल।
पल पल अपना रूप बदलता,
अनकही बातों को ये कहता,
क्या संदेशा तेरा लेकर आया है,
ये एक टुकड़ा बादल ?
संग शरारती हवा का झोंका
खींच रहा आंचल मेरा
क्यों आंचल ये भिंगोने, को मचल रहा है
ये नटखट बादल।
धूप संग मिल के खेले आंख मिचौली
बन गयी जो किरणें उसकी सहेली
कभी ताप लगाए,
कभी छांव सजाए,
हरकतों से अपनी, तेरी याद जगाएं
ये एक टुकड़ा बादल।
काजल बन के नैनों में उतरा,
बूंद बन के होंठों पे है ठहरा,
प्यास क्यों मेरे सपनों में जगा रहा है,
ये एक टुकड़ा बादल।
रंग इंद्रधनुष के भी , जो ये संग लाया
थोड़ी लालिमा सूरज की , ये जो चुरा लाया
रंग ये ओढ़ने को, क्यों व्याकुल हो रहा है ये मन
क्या उमड़ घुमड़ कर,
तुम्हारे मन की व्यथा कह रहा है
ये एक टुकड़ा बादल
क्यों नहीं मेरे आसमां को,
तुम्हारे आसमां से जोड़ देता है
ये एक टुकड़ा बादल।