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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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एक सूरज

एक सूरज

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एक सूरज हमारे अंदर भी है

इसीलिये

हर पल एक सुंदर

सुबह सा है


और सांस्कृतिक अराजकता के

सम्मोहन से विरक्त

हम खुद को

देख पाते हैं

और सक्रिय रहते हैं


हर पल

मनुष्यता की आवाज में

अपनी आवाज मिलाते हुये

और ये कोई चुनावी नारा नहीं

नहीं कोई शोर करता हुआ आंदोलन

ये सहज जीवन का

प्रेम भरा आधार है


एक नजर है

मनुष्य को

मनुष्य की नजर से देखने की

एक खामोश क्रांति है

दुनिया में

खुद की जरूरत को

महसूस करने की।


एक सन्देश है शांति का

एक हथियार है

जीवन युद्ध में जीत का

एक यहसास है

हरपल परमात्मा के साथ का।


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