एक स्त्री
एक स्त्री
एक स्त्री अपने
बच्चे की भूख की
खातिर
अपने कपड़े उतार देती है।
अपनी इज्जत बेच देती है
और किसी हवस के भूखे
की भूख मिटा देती है
भूख तो दोनों की
मिटती है।
किसी की हवस तृप्त होती है
किसी का पेट
पर वो औरत अपने
बेटे की भूख
मिटाकर गर्व की
अनुभूति करती है।
और अंदर से
कितनी टूटी है
वही जानती है
पर कहती कभी नहीं
अकेले में आँसू बहाती है।