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Bhavna Thaker

Romance

4  

Bhavna Thaker

Romance

एक रिश्ता दर्द भरा

एक रिश्ता दर्द भरा

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एक रेशमी रिश्ता था

तुमसे जुड़ा 

मिश्री सा मीठा

तोड़ लिया। 


एक अवस्था संपूर्णत: 

तुम में खोया हुआ मेरा संसार 

था कभी 

बिसर गई। 


एक चाह एक भक्ति (अंधी)

छूट गई 

एक वादा था तुम्हारा 

मेरी हथेलियों पर बोया 

उखाड़ दिया। 


भरोसा उम्मीद से बँधा 

धागा ही तोड़ लिया 

बचा एक दर्द का दरिया था

पार कर लिया। 


उर की क्षितिज पर

घूमते यादों के रथचक्र को

खींचते कुछ अधमरे

स्पंदन ज़िंदा है। 


साँस लेते 

सींच रहा है बोसे बोसे को

बचाए रखने की होड़ ने

जोड़ रखा है। 


मंद बहती धड़क

गुनगुनाती है बीते लम्हों को

रोम रोम से बहती

हर रग की सतह को

चूमती रूह तक पहुँच कर

दस्तक देती है फिर वही सदाएं। 


मन भटक रहा है

उस अवस्था को ढूँढता 

एक ठोकर की दहलीज़ पर। 


अब कोई अवकाश ही नहीं

कह दो कोई उस नाद को

जो बजता रहता है

उस ओर से मुझे

अपनी ओर खिंचता।


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