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Vihaan Srivastava

Romance

3  

Vihaan Srivastava

Romance

एक फरिश्ता

एक फरिश्ता

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दिल को सुकून और मन को ठंडक दिला गया

एक फरिश्ता मुझे खुद से मिला गया।


याद है जब उसने मेरी नज़रों में झांका

बेशुमार मेरे नैनो को ताका।


टकटकी लगा वो अंदर तक हिला गया

एक फरिश्ता मुझे खुद से मिला गया।


खुद की परवाह से बेखबर अनजान मैं

आरज़ू और ख़्वाब से हरदम वीरान मैं


मंजिलों का वो एक गुलदस्ता खिला गया

एक फरिश्ता मुझे खुद से मिला गया।


याद है जब उसने मेरी बाहों को थामा

मेरी रूह को मेरी आहों को थामा।


सहयोग रूपी अमृत गटागट पिला गया

एक फरिश्ता मुझे खुद से मिला गया।


आइने के सामने गुजरते दिन रैन

चाहते बढ़ गई गुम हुआ मन का चैन।


खुद से इश्क करने की वो आदत सिखला गया।

एक फरिश्ता मुझे खुद से मिला गया।



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