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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

Inspirational

एक मौका।

एक मौका।

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मुझे सही मार्ग दिखला ने वाले, बीच मझधार में मत छोड़ देना

भूल -चूक भी गर हो गई मुझसे, फिर भी एक मौका दे देना।


समझ न पाता जग की माया, कई बार मुझे इसने ललचाया है

कर बैठा मैं वही काम, जो मन ने मुझसे करवाया है।


बुरे कर्म पर मन क्यों ना जाने, उस पर ही आकर्षित होता है

हाय !यह मैं क्या कर बैठा?, बाद में पछतावा होता है।


बुद्धि होकर भी समझ न पाती, "विवेक" साथ क्यों नहीं देता है?

मेरे मालिक शर्म यह लगती, मुझसे ही यह क्यों होता है।


अब तो सिर्फ आपका ही आसरा, जो पार लगाए मेरी नैया।

"पिता श्री" अब "नीरज "को बचा लो, बन जाओ अब मेरे खिवैया।


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