एक लम्हे से बात...!
एक लम्हे से बात...!
कतरा-कतरा सहम उठा
सुनकर मेरी बात को
लम्हा भी शर्मा गया
देखकर उसकी याद को
कहने लगा वो लम्हा हमें
कितना प्यार करती हो
मैं ने कहा लम्हे से, जितना
राधा कृष्ण पर मरती हो
लम्हा भी चौक उठा
इन बातों की गलियों में
मगर ये राधा सहम गई
उसके यादों की गलियों में
पलकें झुकाए बोली वो
मिलना भी नसीब नहीं
जो मेरे साथ नहीं पर
दिल के मेरे क़रीब वहीं
लम्हा भी रो-रोकर बोला
तुम पलकें बिछाए बैठी हो
तुम्हारे अल्फ़ाज़ बोलते हैं
तुम सुकून से भी रूठी हो
आंखों में आंसू भरे छोड़
चला गया वो लम्हा हमें
कहकर गया वो आखरी बार
जिंदगी भर याद रखूंगा तुम्हें

