एक लेखिका
एक लेखिका
हाँ एक लेखिका ही तो हूँ
लोग मुझे आवाज़ से नहीं,
मेरे लिखे शब्दों से मुझे जानते हैं
हाँ जो नहीं जानते मेरी सूरत,
वो मेरी कलम को जानते हैं
हाँ एक लेखिका ही तो हूँ
जिनसे कभी मुलाक़ात नहीं की,
वो मेरी ज़िन्दगी की कुछ मुलाक़ातों को जानते हैं
हाँ कहने को तो उनसे कोई रिश्ता नहीं ,
लेकिन वो मेरे चंद रिश्तों को जानते हैं
हाँ एक लेखिका ही तो हूँ
मेरी किताबों में लिखी,
कुछ हकीक़त कुछ फ़साना,
हाँ जो मुझे थोड़ा -थोड़ा जानते हैं
हाँ एक लेखिका ही तो हूँ
मैं उनसे अनजान हूँ,
जो अब मेरे नाम को बेहतर जानते हैं
हाँ एक लेखिका ही तो हूँ,
वो मेरे बारे में कहाँ सब जानते हैं
हाँ एक लेखिका ही तो हूँ।
