एक कहानी
एक कहानी
खुमारी के आलम में,
ख़्यालों के महफिल सजायी थी,
कुछ तुम्हारे यादों को,
जो दिल में छुपा कर रखी थी,
उन यादों में खो जाना चाहती थी।
चंद लफ्जों को जो कभी
मैं बयाँ कर न सकी थी,
आज उन लफ्जों को सजा कर,
मेरी कलम ने एक कहानी बना दी।
तुम्हारे प्यार में खो कर,
मैंने कभी जहाँ भूला दी थी,
ख्वाबों में डुब कर, ख़यालों में खो कर,
अपनी सुध बुध खो बैठी थी,
आज उन्ही ख़यालों को,
उन ख्वाबों को,
फिर से मेरी कलम ने,
शब्दों से पीरो कर एक कविता बना दी।
शुक्र गुजार हूँ मैं आज,
उन ख़यालों से, ख्वाबों से, उन यादों से,
जो मेरे कलम को,
एक नयी अन्दाज दे दी,
मेरी जिन्दगी को एक नयी दिशा दे दी।