एक कहानी आँसुओं की
एक कहानी आँसुओं की
आओ सुनाए एक कहानी
एक हीर थी एक था रांझा
बसे निकट निकट वे दोनो
जलता था चूल्हा सांझा,,
साथ बचपन का जब छूटा
भ्रम अनेक साथ सब टुटा
बाधा ऐसी एक सामने आई
समझते कुछ आ गई जुदाई,,
सपने संग बहुत देेेखे थें
अलगाव थे तकदीर के
रचे सजे उन रेखाओं में
सत्य समझ में जब तक आता
खत्म होना था सपनों का नाता,,
हीर मान सकी न उस वीर का संंग
रांझा छिन्न भिन्न रह गया था दंग
फिर तो दो जान हुए एक जिस्म
प्रीत का यह अद्भूत तिलिस्म,,
मौन रह गए लब सारे
आँसु की कथा पर सब हारे।।