STORYMIRROR

Jiwan Sameer

Romance

3  

Jiwan Sameer

Romance

एक जैसे

एक जैसे

1 min
404

कोई टीला..

या, कोई प्रणयी हठीला

दोंनो ही एक जैसे...!


कोई नदी...

प्रणयातुर वेगवती

मुड़ जाये कुछ हद तक बल खाकर अभिमानिनी

घूम फिर समायेगी, सागर में जैसे तैसे....!


पुरूष एक मोम वक्ष

नारी अति विनत पक्ष

प्रणय एक आग...

दोनों ही देहों में दहकी सम भाग:


यह कितना ही रूठा

वह कितना ही मानी

रह पायें आपस में अप्रभावित कैसे?

प्यार के धरातल पर, दोनों एक जैसे...!! 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance