एक एहसान ऐसा भी
एक एहसान ऐसा भी
मुझ पर इतना सा एहसान कर दो
झुको तुम जब तो बिखरती जुल्फों को संवार दूँ,
तुम्हारे प्यार को पा जाऊँ इतनी तो मेरी हैसियत नहीं, चलते चलते लड़खड़ाओ जो तुम कभी ,तो सँभालने का काम दे दो.
मुझ पर इतना सा एहसान कर दो
जब वेदना से ग्रसित हों तुम तो संभालने वाला कांधा मेरा हो,
जब कहीँ फंस जाए दुपट्टा तुम्हारा,आज़ाद कराने वाला हाथ मेरा हों,
तेरा सानिध्य पाना ही मेरे जीवन की जमा पूँजी है, यें सदा मिलता रहे बस इतना सा वादा कर लो.
मुझ पर इतना सा एहसान कर दो,
आखें जो मूँद लूँ कभी तो ख्वाबों में देख के आनंद ले लूँ,
पायल जो चुभे तुझे पैरों में, तो उस चुभन से आज़ाद करा जाऊँ,
तुझपे मेरा हक़ हो इतनी बड़ी इच्छा नहीं, तेरे ख्यालों में आना जाना लगा रहे मेरा, बस इतना सी इनायत कर दो.
मुझ पर इतना सा एहसान कर दो,
मुस्कुराने से तुम्हारे दिल की धड़कन चलती रहती है, इसका लुत्फ़ यूँ ही उठाता रहूँ,
जब लॉकेट में अटके लटें तेरी, अपनी उंगलियों से उन्हें कैद से छुड़ा जाऊँ,
तुम दिल से पुकार लो जब भी नाम मेरा,तो सेवा में साक्षात दर्शन दे जाऊँ, बस ऐसा नसीब दे दो.
यूँ तो क़र्ज़ लेने की आदत नहीं मुझे, तुम बस इतना सा क़र्ज़ दे दो
बड़ी खूबसूरत हैँ नज़रेँ तुम्हारी, इनसे नज़रेँ मिला के तुम्हें बुरी नज़र से बचाता रहूँ,
कदम पड़ेें जो धरती पर तो रास्ते के पत्थर और कांटे चुनता रहूँ,
आसूं छलके आखों से तेरी तो आगोश में समेटने वाली पलकें बन जाऊँ ,
साजन ना भी बन पाऊँ तो कोई गम नहीं, बस इतना सा करम कर दो कि तेरा हमनवा, हमदम, सखा सदा के लिए बन जाऊँ.