एक दूधपीता बच्चा
एक दूधपीता बच्चा


एक दूधपीता बच्चा
अपनी माँ को जगा रहा है
उसे नहीं खबर है की
उसकी माँ मर चुकी है
उसे नहीं खबर है की
रोटी की भूख ने उसकी
माँ की जान ले ली
राजा के अहंकार ने उसकी
माँ की जान ले ली
उसे नहीं खबर है की
धर्म और जाती के नशे में
फँसा एक समाज उसकी
माँ के मौत का कारन है
यह सब कोई सिनेमा का
इमोशनल सीन नहीं है
यह कोई कविता भी नहीं है
यह हकीकत है दुनिया के
एक सबसे बड़े लोकतंत्र की !