एक बेटी की कहानी
एक बेटी की कहानी
एक औरत जब कुछ ठान लेती है, तो वो बहुत कुछ कर सकती है ,
एक लड़की सब कुछ बर्दाश्त करती है,
पर हर बर्दाश्त की एक सीमा होती है,
और जब वो टूट जाये तो फिर वो किसी की नहीं सुनती !
एक औरत अगर लक्ष्मी है , ममता की मूरत है,
तो , वही औरत माँ काली भी है ,
चाहे वो एक बेटी हो , एक बहिन हो या एक पत्नी हो
जिस माँ बाप को वो सारी उम्र पूजती है
जब वही माँ बाप उस लक्ष्मी को ठुकरा देते हैं ,
उस लक्ष्मी को जिसे भगवान् ने इस दुनिया में भेजा !
न जाने कैसे वो माँ बाप उस लक्ष्मी का तिरस्कार कर देते हैं,
न जाने क्यों / कैसे वो ये पाप करते हैं ?
कन्या भ्रूण हत्या जैसा महापाप करते हैं
अपनी लक्ष्मी जैसी बेटी को बेइज़्ज़त करते हैं !
उसके मान - सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं ,
क्यों भूल जाते हैं वो , कि
उन्हें , इस दुनिया में लाने वाली भी एक बेटी ही है ।