एहसास
एहसास
दिल की खुशियां कैसे दो पल में मर जाती हैं
जब एक अविश्वसनीय घटना घट जाती है
जहां कुछ चैन पहले मुस्कुराहट छाई हो
किस कदर वो बेजान हो जाती है।
न जाने लोग ऐसा क्यों हैं करते
भेद भाव न जाने क्यों उनके दिलों में है रहतें
ऐसा क्या मिलता है किसी एक से कुछ छिपाने में
और वही आम बात सभी को बताने में।
सुना करती थी की ज्ञान बांटने से बढ़ता है
पर आज कल तो सब अलग हीं दिखता है
वही इंसान किसी से घंटो बात कर सकता
फिर दूसरे से झूठ कैसे कह सकता है ?
सामने मुस्कुरा कर कोई बातें कर सकता है
पर कुछ कहने पर लफ्ज़ बदल देता है
ऐसा कोई इंसान कैसे हो सकता है
जो सब जानकर भी अनजान बना रहता है।
बुरा तब नही लगता जब कोई कुछ छिपता है
बुरा तब लगता है जब झूठ सहारा बन जाता है
मन न हो कुछ कहने की तो सीधे बोल दो न
या अभी वयस्त हूं ये कह देना।
पर ये कहना की मुझे कुछ नहीं पता
और वो भी तब जब सम्पूर्ण ज्ञान हो इकठ्ठा
अच्छा नहीं लगता है मेरी प्यारी बहना
क्योंकि मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी न।
मुझे नहीं लगता था कि आप बातें करेंगी मुझसे
आखिर आप बहुत दूर रहती हैं मुझसे
खुद उम्मीद का दिया जलाकर आपने
क्यों उसपर बारिश करा दिया !
लोग बदलते नही मैं ये भी जानती हूं
वो परिस्थितियों संग ढल जाते हैं ये भी मानती हूं
अनजान नही हूं सबकी हालातों से
पर किसी को दर्द देना सही नहीं मानती हूं मैं।
दिल कहता कि सोध करूं की लोग ऐसा क्यों करते हैं
फिर लगता है सब अपने हीं दर्द में बंधे रहते हैं
सबसे मुस्कुरा कर बातें तो कर लेते हैं
पर अंदर हीं अंदर रोते_ गाते रहते हैं।