Moren river
Classics
तेरे द्वेष में
इतना दम है
तो तेरे राग में
कितना होगा !
बस !
अब तो
मैं
तेरा
राग देखना
चाहता हूँ।
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द्वेष
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जज्बात समेटते रह गए खामोशी भेद सारा बोल पड़ी। जज्बात समेटते रह गए खामोशी भेद सारा बोल पड़ी।
ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नहीं होता। ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नहीं होता।
आओ न घूल कर इक होते हैं, सनम जान से ऐसे ऐसे नहीं रूठते हैं। आओ न घूल कर इक होते हैं, सनम जान से ऐसे ऐसे नहीं रूठते हैं।
कौन नहीं जानता ? किसे नहीं पता ? कौन नहीं जानता ? किसे नहीं पता ?
जिंदगी है ये जिंदगी है बार बार मौका नही देगी चौका मारने का। जिंदगी है ये जिंदगी है बार बार मौका नही देगी चौका मारने का।
अस्तित्व कवि का है कविता कोई जो मुझसे पूछे मेरे वजूद का हिस्सा है कविता। अस्तित्व कवि का है कविता कोई जो मुझसे पूछे मेरे वजूद का हिस्सा है कविता।
तुझसे प्यार करता था तुझसे प्यार करता रहूंगा....! तुझसे प्यार करता था तुझसे प्यार करता रहूंगा....!
बिन साजन के कैसे खेलूँ होली के हर रंग है फ़िके। बिन साजन के कैसे खेलूँ होली के हर रंग है फ़िके।
सब गलत बस एक तुम हो सही, बस एक यही सोच ही तो सही नहीं। सब गलत बस एक तुम हो सही, बस एक यही सोच ही तो सही नहीं।
एक रंग-रूप जो सदियों से- उन में कौन सा रंग फिर साजेगा ! एक रंग-रूप जो सदियों से- उन में कौन सा रंग फिर साजेगा !
याद करना छोड़ दिया ! जिक्र करना भी छोड़ दिया ! याद करना छोड़ दिया ! जिक्र करना भी छोड़ दिया !
एक दिन आग देगी राख देगी कहनी मेरी अंत तक साथ लेगी। एक दिन आग देगी राख देगी कहनी मेरी अंत तक साथ लेगी।
अपनी छत से दूर होकर भी दूसरों को छत देते हैं ये मजदूर। अपनी छत से दूर होकर भी दूसरों को छत देते हैं ये मजदूर।
अब मैं बेहतर हूं मैं सिर्फ मैं हूं अब मैं खुश हूं। अब मैं बेहतर हूं मैं सिर्फ मैं हूं अब मैं खुश हूं।
विरह रंगों से सजा आंगन व्याकुल होगा तुम्हारे पदचिन्ह के लिए ! विरह रंगों से सजा आंगन व्याकुल होगा तुम्हारे पदचिन्ह के लिए !
और इस बार जिंदगी के सफ़र में प्यार से दोस्ती का सफ़र जारी करवाऊँ। और इस बार जिंदगी के सफ़र में प्यार से दोस्ती का सफ़र जारी करवाऊँ।
कोविड 19 का करके हाय हाय मनायें आज होली त्यौहार। कोविड 19 का करके हाय हाय मनायें आज होली त्यौहार।
और सारी दुआएं कबूल हो गई है खुदा के दर पर, जो सारे जहां से सुंदर मैंने महबूब पाया है। और सारी दुआएं कबूल हो गई है खुदा के दर पर, जो सारे जहां से सुंदर मैंने महबूब...
कभी तो मैं भी बनूँगा शबनम से शोला। कभी तो मैं भी बनूँगा शबनम से शोला।
होली मेरे कुमाऊं की होती बहुत खास, आओ सखी देखो होली देवभूमि की मेरे साथ। होली मेरे कुमाऊं की होती बहुत खास, आओ सखी देखो होली देवभूमि की मेरे साथ।