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Moren river

Others

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छद्म भूमिकाओं की दास बनी

छद्म भूमिकाओं की दास बनी

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"विकास की अंध अभिलाषा में पीढ़ी काल की ग्रास बनी"


कहीं हम अपने ही आदर्शों का मखौल तो नहीं उड़ा रहे!

हाथों अपनी संस्कृति को तार-तार तो नहीं कर रहे ?


लगता तो कुछ ऐसा ही है कथित शिक्षित व्यवहारों से..

संस्कार छोड़ आगे बढ़ते युवाओं के कुतर्की विचारों से।।


कहाँ था वो पूरा गौरव जहाँ मानवता स्वत: परवान चढ़ी

सामाजिक सुख-समृद्धि-ऐश्वर्य का गौमाता पर्याय बनी।।


विकास की अंध अभिलाषा में पीढ़ी काल की ग्रास बनी

चित्रपटी व्यवहारों से नित छद्म भूमिकाओं की दास बनी


आगे बढ़ती संस्कार-संस्कृति और पूरा गौरव को छोड़ती

कथित उच्च शिक्षित पीढ़ी सांस्कृतिक प्रदूषण की राह बनी।।


स्वदेशी सहज़ जीवन में भी परदेशी समृद्धि का पर्याय बनी।

आचार-विचार और व्यवहारों से अपना ही दुर्भाग्य बनी।।


समृद्धि और विकास की आस में अपनों की ही ग्रास बनी।

शिक्षित फिर भी अविवेकी अपने ही विचारों की दास बनी।।


हज़ारों सालों की समृद्ध पहचान छोड़ दशकों में महान बनी?

काल का आह्वान करती स्वयं विनाश का कारण बनी।।


सादर सस्नेह



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