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Tanha Shayar Hu Yash

Drama Fantasy Abstract

5.0  

Tanha Shayar Hu Yash

Drama Fantasy Abstract

दुविधा

दुविधा

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लगता है मेरे ही हाथों कुल का विध्वंस लिखा है,
मैं साधरण से असाधारण बनने पर मज़बूर हुआ हूँ,
लगता है मुझे ही विभासत्सु बनने पर मज़बूर किया है,

मैं हूँ ज्ञानी तभी रुका हुआ तेरे विनाश को दुनियां,
गांडीव उठा लूंगा नाश ही होगा, तब विनाश ही होगा,
अब तुम्हे संभलने का मौका देता हूँ, फिर तू हताश ही होगा,

लगता है मेरे ही हाथों कुल का, विध्वंस लिखा है,
बिना रणभूमि का ये युद्ध, इसे ऐसे ही खत्म करो सावित्री,
मैंने जो उठा लिया शस्त्र, तो तेरा कोई अस्त्र न होगा,
समझो जानो मैं हूँ निराकार, फिर तू कभी साकार न होगा,


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