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Meenakshi Kilawat

Tragedy

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Meenakshi Kilawat

Tragedy

दूसरों को कैसे समझाएगी

दूसरों को कैसे समझाएगी

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उसकी सदा यही इच्छा होती है

के वह सदा सदा सुहागन रहे,

उसके माथे की बिंदिया हमेशा चमकती रहे

अपने प्राण प्रिय पति को वह कभी ना खोए

और वह अपने दिन बड़े ही सुकून से जिए,

यही एक पत्नी का सपना होता है

लेकिन यह बात दूसरों को कैसे समझ में आएगी ?

चाहे उसे आप कैसी भी स्थिति में रखो

पति के तबीयत को लेकर वह हमेशा

चिंतित दिखाई देती है,

उसका दिल अंदर ही अंदर रोता है

लेकिन अहंकारी पति को पत्नी के दिल की

परवाह ही नहीं होती है,

लेकिन यह बात दूसरों को कैसे समझ में आएगी?

जितनी जल्दी पुरुष को अपने विवाह की

होती है उसे दिल से निभाने की नहीं होती,

यह दुख पत्नी के अंतरात्मा में सदा

नासूर बनकर दर्द देता रहता है,

वह व्यथा वेदना के साथ जीवन जीती है

लेकिन यह बात दूसरों को कैसे समझ में आएगी?

पति को जरा भी खरोंच आई तो

पत्नी का दिल तड़प उठता है

वह पति को समझाने का अविरत

प्रयास करती रहती है

लेकिन पति कभी अपना "चेकअप"

करवाना ही नहीं चाहता,

पत्नी खिन्न होकर, वि्हल होकर

सुहाग को सुरक्षित रखने का

भरपूर प्रयास करती है।

लेकिन यह बात दूसरों को कैसे समझ में आएगी?

इक दिन हार्ट अटैक आ कर पति

इस दुनिया से कूच कर जाता है

वह वह दुनिया के थपेड़ों से

भारी दुख से पत्थर बन जाती है,

उसके बच्चे भरी दुनिया में बिना छत्र छाया के

पलते हैं,अगर बच्चे ना भी हो तो अकेली

संस्कारी पत्नी सारी जिंदगी अकेली रह जाती है।

लेकिन यह बात दूसरों को कैसे समझ में आएगी?



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