Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sanjay Aswal

Abstract

4.3  

Sanjay Aswal

Abstract

दुश्वारियां

दुश्वारियां

1 min
341


अक्सर जब इंसान 

जिंदगी की दुश्वारियों में फंसा

परेशान,

हताश हो जाता है, 

उलझनों से हरदम उलझता चला जाता है, 

कोशिशें तमाम करता है, 

मुश्किलों से निकलने के नए नए रास्ते ढूंढता है, 


पर उम्मीद 

आहिस्ता आहिस्ता साथ छोड़ने लगती है, 

दिल भी खाली खाली डूब सा जाता है

नाकामियों से सहम जाता है,

आंखें शून्य सा बस एकटक तकती रहती है

यादों के भंवर में उलझती रहती है,

उम्मीदों के अक्स धुंधले होते जाते हैं,

और पुरानी यादें एक गठरी में

सामने नजर आने लगते हैं, 

जो हमारी दुश्वारियों को

हमारे सामने यूं ला कर पटक देती हैं, 

जैसे कोई वर्षों पुराना बोझ उतार दिया हो

उसने अपने सर से,


मन दुःखी एक कोने में बैठ ख़ामोश हो जाता है,

आंखें बेबस लाचार सी

इधर उधर खोजती है कोई सहारा कोई हल, 

पर ढूंढ नहीं पाती वो कांधा 

जिस पर सर टिका कर 

उन आंसुओं को बहने दे, 

जो कब से थमे पड़े हैं बेसब्र होकर,

वो बस थकी हारी 

अपनी बेचारगी पर, 

अवाक सी खड़ी

निहारती है खुद को,

अपनी निस्तब्धता को 

जिसमें उसका वजूद 

ख़तम होने को है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract