STORYMIRROR

प्रीति शर्मा "पूर्णिमा

Romance

4  

प्रीति शर्मा "पूर्णिमा

Romance

"दुपट्टा बैंगनी रंग का"

"दुपट्टा बैंगनी रंग का"

1 min
346

दिलाया था जो तुमने पहली बार

दुपट्टा बैगनी रंग का।

महसूस किया था उस पल मैंने

सज गई हो जिंदगी सतरंगी रंग से।। 


बहुत पसंद था तुम्हें बैंगनी किरन

कहते थे तुम यह है राजसी रंग।

मैं भी खो गई थी इसकी चमक में

जिंदगी की चमक मिल गई थी इस रंग में।। 


कुछ पल कितने अनोखे, 

कितने प्यारे होते हैं!

जिंदगी में वह कितनी 

अहमियत लिए होते हैं !

जब कोई अपना देता हैं

भेंट अपनी पसंद से

और हम अपना लेते हैं

उसको पूरे दिल से।।


तब से आज तक ,

मैंने हर रंग में 

बैंगनी को ही ढूंढा, 

बैंगनी को ही चुना।

जबकि अपना कुछ ना था उस रंग का

सब कुछ उधार का था ।

लाल और नीले के मिलन का कमाल था।। 


जब भी दोनों कम या ज्यादा हो जाते हैं 

बैगनी रंग के शेड को बदल जाते हैं ।

लाल और नीला,जिनका अपना

स्वयं का स्वभाव था गर्म और ठंडा।। 


ऐसे ही रिश्ता था मेरा और तुम्हारा

हमारी भावनाएं एक-दूसरे के लिए

जैसे ही कम या ज्यादा में बदल जातीं

हमारी नजदीकी,दूरी में या

दूरी नजदीकी में सिमट जाती।। 


खट्टा-मीठा कुछ कड़वा कुछ तीखा 

उतार-चढ़ाव वाला रिश्ता रहा हमारा। 

लेकिन आज भी मेरी पहली पसंद रहा

बैगनी रंग का दिया दुपट्टा तुम्हारा।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance