दुख बहुत है
दुख बहुत है
दुख तो बहुत है लेकिन किस-किसको बताऐं,
सुख को सबने जाना दुख में कौन साथ निभाएं,
इस जग में कौन है अपना और कौन है पराया
कहाँ जाकर हम किसको अपना दुखड़ा सुनाएं,
जग ने दिया है दुख तो पीर पराई कौन जानेगा,
सहानुभूति भी एक दिखावा सिर्फ फर्ज जताएं,
आशाओं का दीप जलाकर ढूंढ रहा अपनापन,
होठों पर लाकर सुख का प्याला कौन पिलाएं,
दुख तो बहुत है लेकिन किस-किसको बताऐं,
सुख को सबने जाना दुख में कौन साथ निभाए,