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Rashi Rai

Abstract

3  

Rashi Rai

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दशक वाला प्यार

दशक वाला प्यार

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441


बहुत लोग अच्छे लगते हैं, बहुत लोग सच्चे भी हैं

पर ऐसी पसंद जिसके बाद कुछ पसंद ही ना आये,

जिसके साथ वक्त बिता कैसे पता ही नहीं चल पाए !

दुनिया की लाख परेशानियों का हल हो जिसके पास

और साथ तो ऐसा हो जैसे दूर होना भी पता ना चले !


अब आप ही बताइये जिसके साथ होने पे भी

मन विचलित कर जाता हो

या जिसे आपके मन से कुछ मतलब नहीं,

मुझे तो वो इंसान ही पसंद नहीं !


कुछ लोग आपके साथ बड़े अच्छे रहते

ज़ब आपकी जेब मे बड़े पैसे होते

और जैसे ही पता चला की खत्म हो गए पैसे

तो चले जाते अपने अपने रस्ते !


भले बाद मे समझ आये उनको

या आये भी ना समझ कभी पर सच तो यही है

सच्चा दोस्त ज्यादा जरूरी है

ईमानदार साथी ज्यादा जरूरी है

चाहे ज़िन्दगी हो या रास्ता !


जैसे हमारी पसंद वक्त के साथ बदल जाती है

कभी गम मे हमें मीठा खाना नहीं भाता तो

ख़ुशी में फीका ये इस तरह की पसंद बदलती रहती है !

और प्यार वो नहीं जो बस देखने भर से हो गया

हा कुछ अच्छा लग सकता है जरूर


प्यार तो वो है जो बिना सोचे समझे बस हो जाता है

कभी पहले कभी बहुत बाद में भले पता चले

पर सच बताऊँ तो ज़िन्दगी की

तमाम गणित लगाना उतना कठिन नहीं

जितना ये जानना हा हमें तो प्यार हुआ है।


जिसको सच्चा प्यार होता है

उसे पहले तो पता ही नहीं चलता !

और ये सिर्फ एक तरफ की बात है

दूसरी तरफ की भी खबर नहीं होती


हो सकता उधर प्यार हुआ ही नहीं

और हुआ भी तो पता तो पक्का नहीं है !

इधर आग है और उधर पानी है या

आग ये पता नहीं चलता तब तक

ज़ब तक बातें नहीं होती

ये सिर्फ कुछ समय की पसंद

नहीं ज़िन्दगी जैसी ही है

जिसके होने से ही हम हैं

जिसके ना होने से सिर्फ मै हूँ !


वैसे जिसको मिलना होता

उसका पूरा परिचय तो भैया भगवान ही जाने

क्यूँकि हमें तो आज का भी ठीक पता नहीं

अपना यहा आना भी हमें तो पता न था

तो उपरवाले पर भरोसा रखें

कुछ ना कुछ तो लिखा ही है !


साथ में हमें अपने कर्म को

कभी दुष्कृत में नहीं बदलना है

क्यूँकि उससे बैलेंस करने को

भगवान को भी फिर से गणित करना पड़ता है !


देर या जल्दी ये ना देखिये

पाइये उसे जिसे

दशक भर देखना भी कम पड़े !

प्यार सिर्फ मुंह से ही नहीं

आँखों में भर जाये !


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