दर्द की आदत हो गई है
दर्द की आदत हो गई है


वो भी मुझे चाहती है दिलों जान से,
ये बात और है
दर्द-ऐ-दिल हो जाती है मोहब्बत ये
दौर और है
अब तो तन्हाई में छुप-छुप कर बस
आह भरा करते हैं
दर्द की आदत हो गई है, जो हर
रोज़ लिया करते हैं
ये इश्क़ है, या कोई रोग
लाख कोशिशों के बाद भी समझ
नहीं पाते हैं
पास हो के शर्माते हैं,और दूर हो
के घबराते हैं
उसे सोच कर भले ही मन ही मन
में मुस्कराते हैं
जब वो पास होती हैं
कुछ बोल ही नहीं पाते हैं
दूर होकर तन्हाई में बड़बडाते हैं...