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Rajit ram Ranjan

Romance

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Rajit ram Ranjan

Romance

दर्द के पहलुओं में...!

दर्द के पहलुओं में...!

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किससे बयां करें,

हम दिल कि दास्ताँ.... 

कौन समझेगा, 

यहाँ दर्द मेरा.... 

अब तो ज़िन्दगी, 

काँटों सी चुभने लगी हैं....

फूलों की महक़ भी, 

फ़ीकी-फ़ीकी सी लगने लगी हैं.... 

इस दर्द के पहलुओं में, 

एक पल भी जीना, 

दूभर सा हो गया है....  

ऐसे वक़्त में ख़ुद को, 

कैसे संभाला जा सके, 

यही सोच-सोच कर, 

आँखें भरी जा रही हैं.... 

कोई साथी मिल जाये किसी 

मोड़ पर, 

जो सहारा दे सके डगमगाते इन 

पैरों को फ़िर से....!



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