दर्द का रिश्ता
दर्द का रिश्ता
दर्द समाता गया मेरी नशों में,नशे की तरह ,
इसके आदी हम हो गये अब,शराबी की तरह,,
दर्द से किया वादा,तुझे पास न बुलायेंगे,
मुस्कराता आता हैं रोज,मेरे महबूब की तरह,,
दर्द की हिमाक़त कि मेरे दिल पर कब्जा कर लिया,
आँसू,गम,तन्हाई सब साथ आते हैं,दोस्तों की तरह,,
दर्द को समझाया,छोड़ दे मुझे कुछ खुशियाँ पाने को,
उसने भी मुझे समझाया,प्यारे बाबुल की तरह,
दर्द ने समझाया :_
कोई न अपनायेगा,जितना प्यार हमनें किया,कोई न कर पायेगा,
बात न हमने मानी,और निकल पड़े,एक आवारा की तरह,,
पानी चाही खुशियाँ,तो सिर्फ सौदे ही सौदे थे,
हम भी बिकते चले गये ,बेमोल समान की तरह,,
आखिर जब बिके तो दर्द के ही हाथों आ गये,
दर्द तड़प कर रो दिया,मेरे महबूब की तरह,,
सकून है दर्द की बाहों में,बेशक आँसू,गम,,तन्हाई साथ हैं इसके,
दर्द की आगोश में हम भी समा गये,
सागर में लहरों की तरह,,
दर्द,आँसू,तन्हाई और मैं,हम सब साथ रहते हैं,
अटूट प्यार हैं हम सब में,एक परिवार की तरह,,