दर्द बसा है आंखो में
दर्द बसा है आंखो में
तुझे दिखती है मेरी आंखें सुंदर सी
मेरी आंखों में दर्द नहीं दिखता है
मैं जलती हूँ हर रोज चिता सी
पर तुझे मेरा घाव नहीं दिखता है ।।
तुझे दिखती है मेरी आंखें झील सी
पर दुखो का समंदर नहीं दिखता है
मैं गम में डूब रही हूं मैं हर रोज मर रही हूँ
जिसकी वजह मेरा कोई अपना ही होता है ।।
तुझे दिखती है मेरी आंखें सुंदर मोती सी
मैं सीप के अंदर की घुटन महसूस कर रही हूँ
इस दुनिया में खुलकर जीने की चाहत है मेरी भी
मैं आजाद होने की नाकाम कोशिश कर रही हूँ ।।
तुझे दिखती है मेरी आंखें सितारों सी
मेरे जीवन का अंधकार नहीं दिखता है
मैं जूझ रही हूँ अपनी ही जिंदगी से
तू प्यार की एक रोशनी भी नहीं दिखा पाता है ।।
तुझे दिखती है मेरी आंखें नशीली शराब सी
तेरी जवानी का नशा मुझे बहुत पीड़ा देता है
गर ना कर पाऊं मैं स्वीकार तुझे
तू तेजाब बरसाकर मुझे मरने छोड़ देता है ।।
तुझे दिखती है मेरी आंखों में मां की ममता
फिर क्यूं बुढ़ापे में बेसहारा कर देता है
जन्म से बहुत कुछ सहा है इन आंखों ने
पर सह नहीं पाऊंगी वो दुख जो अपना ही बेटा देता है ।।