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Sunita Shukla

Tragedy

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Sunita Shukla

Tragedy

दर्द बेवफाई का

दर्द बेवफाई का

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हदीस-ए-इश्क है खुद को किसी पर निसार करना 

मिले न वो तो ताउम्र उसका इंतज़ार करना।


हम ने तो इश्क के हर उसूल को दिल से निभाया

अब ये मेरी तकदीर तू कर गया बहाना।


मत पूछना कैसे जी रहे हैं तेरे बिन 

सदियों सा गुजरा है हर एक पल तेरे बिन।


दिल के दरिया में दर्द बेवफाई का यूँ उफनता है

ख्वाबों का सब तसव्वुर हर लम्हा दरकता है।


ऐसी ख़ामोशियों की यूँ आदत सी हो गई है 

कि अब तो खुद की धड़कनें भी शोर लगती हैं।


अब शिकवे शिकायतों से क्या फायदा

हमने तो तुझे पाने को हर शर्त की अदा।


तुम खुश रहो अपनी दुनिया में अब तो बस यही है दुआ

हमें तुमसे न कोई गिला, जो हुआ सो हुआ।


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