दोस्ती
दोस्ती
बेशुमार कलाओं से दोस्ती हो कर
ख़ुदको खो दिया है तुमने कहीं,
की बेहद उलझी सी है तू,
तुझे अपनें हर कला से सुलझा दूं
जैसें एक अरसां कविताओं से
मुलाक़ात नहीं हुईं की,
दुनियां के हर ख़ूबसूरत अल्फाजों
से तुझे मिला दूं !
बेशुमार कलाओं से दोस्ती हो कर
ख़ुदको खो दिया है तुमने कहीं,
की बेहद उलझी सी है तू,
तुझे अपनें हर कला से सुलझा दूं
जैसें एक अरसां कविताओं से
मुलाक़ात नहीं हुईं की,
दुनियां के हर ख़ूबसूरत अल्फाजों
से तुझे मिला दूं !