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Priti Yawalikar

Tragedy

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Priti Yawalikar

Tragedy

दास्ताँ ए जिंदगी

दास्ताँ ए जिंदगी

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क्या लिखें दास्ताँ ए जिंदगी,

की अब तुझसे मिलने में रहा

वक्त नहीं !


ऐसे ही नहीं चुनी है खामोशी,

कि यहाँ अलफाजों का होता

मोल नहीं !


अलफाजों की तरह सजा दे कवि,

की पास लफ्ज हो के चुप रहना

 ठीक नहीं !


अल्फाज इकट्ठा करने में लगेगी,

की जिंदगी को लफ्जों से समेटना

मजाक नहीं !


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