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Lakshman Jha

Inspirational

4  

Lakshman Jha

Inspirational

" दोस्ती संभाल के "

" दोस्ती संभाल के "

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अभी -अभी तो दोस्त बने हो, ना परिचय ना कुछ बात हुयी !

एक दूजे को समझ ना पाए, फिर कैसी यह चाह जगी ?

अभी -अभी तो दोस्त बने हो, ना परिचय ना कुछ बात हुयी !

एक दूजे को समझ ना पाए, फिर कैसी यह चाह जगी ?


दो प्यार के शब्द ना बोल सके, ना उनके दिल को जान सके !

उनकी चाहत की परवाह नहीं, उनकी व्यथा को ना पहचान सके !! 


कभी अनुदानों को बतलाकर के लोगों से ही इसकी मांग हुयी !

अभी -अभी तो दोस्त बने हो, ना परिचय ना कुछ बात हुयी !!

अभी -अभी तो दोस्त बने हो, ना परिचय ना कुछ बात हुयी !

एक दूजे को समझ ना पाए, फिर कैसी यह चाह जगी ?


जब याचक ही सिर्फ बनना था, तो मित्र बनना बहना था !

दिल जोड़ने की बात कहाँ? यह तोड़ने का ही निशाना था !! 


शिष्टाचार को भूल -भाल कर अशिष्टता की ही बात हुयी !

अभी -अभी तो दोस्त बने हो, ना परिचय ना कुछ बात हुयी !!

अभी -अभी तो दोस्त बने हो, ना परिचय ना कुछ बात हुयी !

एक दूजे को समझ ना पाए, फिर कैसी यह चाह जगी ?


हमने ना कभी उनको देखा, सिर्फ तस्वीरों में उनको परखा !

धीरे -धीरे बातों के क्रम में चल कर, लोगों के दिल में उतरना सीखा !!

अपना परिचय छोड़ छोड़कर, लोगों की तहकीकात हुयी !

अभी -अभी तो दोस्त बने हो, ना परिचय ना कुछ बात हुयी !!

अभी -अभी तो दोस्त बने हो, ना परिचय ना कुछ बात हुयी !

एक दूजे को समझ ना पाए, फिर कैसी यह चाह जगी ?



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