दोस्ती में नजरिया बदल गया
दोस्ती में नजरिया बदल गया
पहला प्यार तो हम खुद सेही करते हैं।
हम अपने से प्यार करते हैं फिर दूसरों से प्यार करते हैं।
सोचा नहीं था कि कभी हम खुद से भी प्यार कर बैठेगें।
दूसरे लोग हमको बहुत अच्छे लगते थे।
उनके सामने हम अपनी कमतर मानते थे।
जब हम छोटे थे बहुत शरारत करते थे।
कभी अपने आप को बहुत अच्छे नजरिए से नहीं देखते थे।
दूसरे के गुण ज्यादा लगते थे, अपने गुण कम लगते थे।
कभी अपनी आवाज सुरीली नहीं लगती।
कभी अपनी हेल्थ ज्यादा लगती।
हमेशा कुछ ना कुछ कमी ही दिखती।
मगर इसी बीच मिली एक दोस्त बहुत ही प्यारी लड़की थी।
वह मेरे पास आई बोली विमला तुम बहुत अच्छी हो, मुझे तुम बहुत पसंद हो।
तुम्हारी हर बात बहुत अच्छी लगती है। तुम्हारी हर बात सच्ची लगती है
तुम्हारा स्वभाव बहुत अच्छा है
तुम दोस्तों की जान हो
दोस्तों के लिए दूसरे से लड़ जाती हो।
मैंने उसको बोला तुम मेरे को झूठ तो नहीं बोल रही।
वह बोली नहीं तू अपना नजरिया
बदल कर देख अपनी तरफ।
कभी खुद से प्यार करके तो देख
तू बहुत अच्छी है।
अपने आप से दोस्ती कर ले।
और मैंने अपने गुणों को देखा।
अवगुणों को नजरअंदाज किया
और अपने आप से प्यार करना सीख लिया।
और उसी दिन से मुझे खुद से प्यार हो गया।
अभी तक भी मैं अपने आप को सबसे ऊपर रखती हूं।
खुद से प्यार करती हूं।
जब हम खुद से प्यार करते हैं।
तभी लोग हमारी भी इज्जत करते हैं।
ऐसा मेरा मानना है।
वह प्रार्थना गाना है।
हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें।
दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें।
तो मैंने खुद की जय करना सीख लिया है।
अब समय आ गया है जिंदगी के संध्या काल में खुद से दोस्ती करने से।
खुद की संभाल रखना जरूरी हो गया है यह समझ में आ गया था।क्योंकि हमने खुद से दोस्ती करी है।
तो हमने खुद की संभाल भी रखी है।
इसीलिए आज हम आपके साथ हैं।
और अपनी कहानी कह जा रहे हैं।
जी हां हमने अपने आप से प्यार और दोस्ती करली है
जो आजीवन हमारे साथ रहेगी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे
तभी तो हम अपने साथ दोस्ती रख पाएंगे।
और आपके साथ में उसको बांट पाएंगे।