दोहा 6
दोहा 6
काशी के कण में बसा,
महिमा अपरम पार।
अति सूक्ष्म ये रहस्य है,
वेदों का ये सार।।
जिया अगर तो क्या जिया,
जो न किया शिव ध्यान।
माटी की इस गात पर,
मिथ्या करता मान।।
काशी के कण में बसा,
महिमा अपरम पार।
अति सूक्ष्म ये रहस्य है,
वेदों का ये सार।।
जिया अगर तो क्या जिया,
जो न किया शिव ध्यान।
माटी की इस गात पर,
मिथ्या करता मान।।